स्मार्टफोन और कंप्यूटर लोगों को जल्द बूढ़ा बना रहे हैं। एक शोध में यह पता चला है। इन उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में आने से लोग वृद्धावस्था की तरफ बढ़ रहे हैं। यह शोध ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया।
नष्ट हो जाती हैं कोशिकाएं :
वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि मोबाइल और कंप्यूटर से निकलने वाली नीली रोशनी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर सकती है। भले ही यह रोशनी सीधे आपकी आंखों में न पड़ रही हो। शोध के लेखक और प्रोफेसर जैगा गाइबुल्टॉइकज ने कहा, कृत्रिम रोशनी जीवनकाल को कम कर देती है। यह जल्द मौत का कारण बन सकती है। यह अध्ययन मक्खियों पर किया गया, क्योंकि इनकी कोशिकाओं में इंसानों की तरह ही लक्षण दिखाई देते हैं।
प्राकृतिक रोशनी जरूरी :
शोध के मुताबिक, जो लोग नीली एलईडी के संपर्क में रहते हैं, उनके दिमाग की तंत्रिकाएं और रेटिना कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। अध्ययन के लेखक का कहना है कि इंसानों और जानवरों के स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक रोशनी बहुत जरूरी है क्योंकि यह शरीर की जैविक घड़ी को उत्तेजित करती है, जो बदले में मस्तिष्क की गतिविधि, हार्मोन उत्पादन और कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है। शोधकर्ता यह मानते हैं कि अधिकतर लोगों के लिए फोन और लैपटॉप त्यागना आंखों की सुरक्षा का एक सही विकल्प नहीं हो सकता।
कृत्रिम रोशनी के संपर्क में रहने से कई खतरे:
शोध के मुताबिक, लंबे समय तक कृत्रिम रोशनी के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा अधिक होता है। यह शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन कम कर देती है। यह हार्मोन शरीर को अपना नींद चक्र बनाए रखने में मदद करता है। नीली रोशनी अन्य हार्मोन को भी नष्ट करती है जिससेे ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।